नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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ज़िन्दगी को तबाह कर डाला
ज़िन्दगी को तबाह कर डाला
इश्क़ जैसा गुनाह कर डाला
काम मुश्किल था हो गया हमसे
थी ये उसकी निगाह कर डाला
फूल से कम नहीं था ये चेहरा
सबने मिल कर सियाह कर डाला
मुन्तज़िर तुम अभी खुशी के हो
हमने ग़म से निबाह कर डाला
सोचता हूँ कि ऐसी दुनिया से
प्यार क्यूँ बेपनाह कर डाला
इश्क़ की जो सज़ा मुक़र्रर हो
अब तो आलम पनाह कर डाला
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