नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
45
नज़र उनसे कभी दो-चार होगी
नज़र उनसे कभी दो-चार होगी
मगर क्या ताकत़-ए-गुफ़्तार होगी
क़यामत हो गया उनका बिछड़ना
क़यामत और क्या सौ बार होगी
नहीं समझेगी दिल का मोल दुनिया
तिजारत के लिये तैयार होगी
किसी सूरत कभी तो राहे-दुनिया
मुहब्बत के लिये हमवार होगी
वज़ीर-ए-इश्क़ भी होगा मुक़र्रर
कभी अपनी अगर सरकार होगी
0 0 0
|
लोगों की राय
No reviews for this book