नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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तस्वीर का रुख़ एक नहीं दूसरा भी है
तस्वीर का रुख़ एक नहीं दूसरा भी है
ख़ैरात जो देता है वही लूटता भी है
ईमान को अब ले के किधर जाइयेगा आप
बेकार है ये चीज़ कोई पूछता भी है
बाज़ार चले आये खुलूस और मुहब्बत
अब घर में बचा क्या है कोई सोचता भी है
वैसे तो ज़माने के बहुत तीर खाये हैं
पर इनमें कोई तीर है जो फूल-सा भी है
इस दिल ने भी फ़ितरत किसी बच्चे-सी है पाई
पहले जिसे खो दे उसे फिर ढूंढता भी है
क्या जानेंगी नस्लें जो न बच पाये ये जंगल
तस्वीर का ये मोर कहीं नाचता भी है
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