लोगों की राय
नई पुस्तकें >>
रौशनी महकती है
रौशनी महकती है
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2020 |
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 15468
|
आईएसबीएन :978-1-61301-551-3 |
|
0
5 पाठक हैं
|
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
40
आपको हो न एतराज़ कोई
आपको हो न एतराज़ कोई
हमसे छुपता नहीं है राज़ कोई
कैसे रिश्तों से फ़ायदा पहुँचे
हमको इसका नहीं रियाज़ कोई
दिल में क्या है ये साफ़ दिखता है
हो अगर दिल, न हो दराज़ कोई
भीड़ तो है दिमाग़ वालों की
मिल ही जायेगा दिलनवाज़ कोई
चाँद-तारों को नोच ले बढ़ कर
अब यहाँ है कहाँ ‘मजाज़’ कोई
दिल की दौलत न साथ ले के चलो
लूट लेगा इसे रिवाज़ कोई
0 0 0
...Prev | Next...
पुस्तक का नाम
रौशनी महकती है
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai