नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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जितने भी मौसम देखे हैं
जितने भी मौसम देखे हैं
उससे बढ़कर ग़म देखे हैं
वो जो खिलौने देख न पाये
उन बच्चों ने बम देखे हैं
उड़ते देखे बेपर वाले
पर वाले बेदम देखे हैं
सिक्कों पर भारी पड़ते हों
ऐसे रिश्ते कम देखे हैं
बस्ती-बस्ती आग लगाते
हमने दीन-धरम देखे हैं
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