| नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
 
 33
अपने चेहरे का आब मांगेंगे
 अपने चेहरे का आब मांगेंगे
 वक़्त से हम जवाब मांगेंगे
 
 जिसने दी है ये तिश्नगी हमको
 हम उसी से शराब मांगेंगे
 
 और हैं किसके पास ता‘बीरें
 और हम किससे ख़्वाब मांगेंगे
 
 भूल जाते हैं दर्द देकर सब
 आप किससे हिसाब मांगेंगे
 
 दोस्ती का असर तो होगा ही
 हमसे वाइज़ शराब मांगेंगे
 
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