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रौशनी महकती है
रौशनी महकती है
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2020 |
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 15468
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आईएसबीएन :978-1-61301-551-3 |
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5 पाठक हैं
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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दर्द का फिर गला दबा देगा
दर्द का फिर गला दबा देगा
एहतियातन वो मुस्कुरा देगा
अंजुमन के हर एक कोने को
वो जो आया तो जगमगा देगा
बात करने लगा वफ़ाओं की
यानी वो फिर मुझे दग़ा देगा
तोड़ कर दिल भी खुश नहीं है वो
जाने अब और क्या सज़ा देगा
रह के ख़ामोश वो रक़ीबों को
बात करने का मुद्दआ देगा
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पुस्तक का नाम
रौशनी महकती है
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