नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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नफ़रत के सिलसिले मिले अज्दाद में जाकर
नफ़रत के सिलसिले मिले अज्दाद में जाकर
पत्थर से हम भी हो गये बुनियाद में जाकर
भूले हैं खुद को ऐसे तेरी याद में जाकर
किरदार जैसे खो गए रूदाद में जाकर
थोड़ा-सा इल्म सीख के शागिर्द-ए-मोहतरम
कोई कमी निकालेंगे उस्ताद में जाकर
उस एक सच को नीचा दिखाने के लिये तुम
चिल्ला के झूठ बोल दो, ता‘दाद में जाकर
क्या हैसियत है आपकी ये तय तो हो पहले
क्या ख़ूबियाँ हैं देखेंगे हम बाद में जाकर
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