| नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
 
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मेरे एहसास पर जो धारियाँ हैं
 मेरे एहसास पर जो धारियाँ हैं
 रफ़ीक़ों की दयानतदारियाँ हैं
 
 अना छोड़ें कि अपने साथ रक्खें
 ज़मीरों को बड़ी दुश्वारियाँ हैं
 
 हवा गुमसुम फ़ज़ा साकित है गोया
 तुम्हारे ज़िक्र की तैयारियाँ हैं
 
 फ़कत लफ़्ज़ों की सोहबत ही नहीं है
 बहुत-सी और जिम्मेदारियाँ हैं
 
 सगे भाई पे भी शक हो रहा है
 तरक़्की की यही बीमारियाँ हैं
 
 हर इक दीवार पर छींटे लहू के
 हमारे दौर की गुलकारियाँ हैं
 
 बताती है जिन्हें आँसू ये दुनिया
 दहकते दर्द की चिंगारियाँ हैं
 
 चमकती हैं जो पुश्ते-तीरगी पर
 उजाले की दबी सिसकारियाँ हैं
 
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