लोगों की राय

नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है

रौशनी महकती है

सत्य प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15468
आईएसबीएन :978-1-61301-551-3

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह


28

सबके सब ग़म कहाँ पराए हैं


सबके सब ग़म कहाँ पराए हैं
कुछ तेरी आरज़ू में पाए हैं

तीरगी ने बचा लिया वरना
किनको कहते ये मेरे साए हैं

अपने कमरे में हम तेरी तस्वीर
आइने की तरह सजाए हैं

तुमने आँसू नहीं बहाए तो
फिर ये मोती कहाँ से आए हैं

क्या शिकायत करें किसी से हम
हमने ग़म भी खुशी से पाए हैं

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book