नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
27
मक़ाम अपना इक मोतबर छोड़ दे
मक़ाम अपना इक मोतबर छोड़ दे
बनाकर दिलों में तू घर छोड़ दे
क़फस तीलियाँ अपनी खुद तोड़ दे
असीरी में ऐसा असर छोड़ दे
न होगी जहाँ से शिकायत कोई
तू उम्मीद रखना अगर छोड़ दे
मिले जिससे तस्कीन वो ऐब रख
जो तकलीफ़ दे वो हुनर छोड़ दे
नहीं और कुछ हासिले-ज़िन्दगी
अगर तू ये ज़ख्मे-जिगर छोड़ दे
सफ़र उसकी यादों का दिलकश तो है
मगर मान जा ये सफ़र छोड़ दे
0 0 0
|