नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
26
गुज़रे हुए लम्हात की तफ़सीर सुनेंगे
गुज़रे हुए लम्हात की तफ़सीर सुनेंगे
हम बैठ के तनहाई की तक़रीर सुनेंगे
चुप तूने लगा ली है मगर अपनी ज़ुबां से
क्या कहती है हमसे तेरी तस्वीर, सुनेंगे
आँखों से छलक जाएँगे एहसास के क़तरे
‘जगजीत’ की आवाज़ में जब ‘हीर’ सुनेंगे
इक हूक-सी तो उनके भी सीने में उठेगी
ज़िन्दां जो मेरे पाँव की ज़न्जीर सुनेंगे
विरसे में मिली हैं हमें लफ़्ज़ों की दुआएँ
हम शौक़ से ‘तुलसी’ तो कभी ‘मीर’ सुनेंगे
ज़ख़्मों की नहीं कोई कमी अपने जिगर में
हम ग़ैर से क्यों दर्द की तासीर सुनेंगे
कुछ लोग मेरे ख़्वाब को समझेंगे महज़ ख़्वाब
कुछ लोग मेरे ख़्वाब की ताबीर सुनेंगे
0 0 0
|