नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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गर न जज़्बात की क़सम खाएँ
गर न जज़्बात की क़सम खाएँ
बोलो किस बात की क़सम खाएँ
जब कोई सिलसिला रहा ही नहीं
क्यों बिना बात की क़सम खाएँ
एक मिलने की, इक बिछुड़ने की
किस मुलाक़ात की क़सम खाएँ
जब वो वाक़िफ़ नहीं हैं ख़्वाबों से
किसलिये रात की क़सम खाएँ
ग़ौर करना तब उनकी हालत पर
जब वो हालात की क़सम खाएँ
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