नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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ठोकरों में तो बलाएँ रक्खीं
ठोकरों में तो बलाएँ रक्खीं
हमने सर माथे दुआएँ रक्खीं
आँख भर आई तो रोए खुलकर
क़ैद हमने न घटाएँ रक्खीं
दिल पे उतनी ही फ़क़ीरी छाई
जितनी खुशरंग क़बाएँ रक्खीं
चारागर ने न जाने क्या सोचा
ज़हर से तेज़ दवाएँ रक्खीं
बाँटने वाले ने सब बाँट दिया
धूप रक्खी, न हवाएँ रक्खीं
हौसला था जो दिये ने रक्खा
वक़्त ने तेज़ हवाएँ रक्खीं
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