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रौशनी महकती है
रौशनी महकती है
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2020 |
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 15468
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आईएसबीएन :978-1-61301-551-3 |
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0
5 पाठक हैं
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
17
बयान देता है खुद आसमान, अच्छी है
बयान देता है खुद आसमान, अच्छी है
नज़र लगे न परिन्दे, ‘उड़ान’ अच्छी है
न खुशक़लाम अगर हो सको तो कम से कम
ख़मोश ही रहो, दिल की ज़बान अच्छी है
चमकते लफ़्ज़ निकाले हैं इन अंधेरों से
हमारे वास्ते दिल की खदान अच्छी है
ये ज़िन्दगी है यहाँ ग़म के ख़ूब जंगल हैं
कहीं मिले तो खुशी की मचान अच्छी है
तुम्हारा दिल है तुम अपने ख़याल खुद जानो
हमारे मुँह में हमारी ज़बान अच्छी है
ख़ुशी का चेहरा बदलता है वक़्त के आगे
मगर जो घटती नहीं ग़म की शान अच्छी है
ये जानता हूँ मुसीबत है प्यार में लेकिन
रहे बला से मुसीबत में जान अच्छी है
‘प्रकाश’ शे’र कहो इस तरह कि लोग कहें
तुम्हारा दिल भी है अच्छा, ज़बान अच्छी है
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पुस्तक का नाम
रौशनी महकती है
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