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रौशनी महकती है
रौशनी महकती है
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2020 |
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 15468
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आईएसबीएन :978-1-61301-551-3 |
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5 पाठक हैं
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
16
सबकी खुशियों की चाह करते हैं
सबकी खुशियों की चाह करते हैं
कौन-सा हम गुनाह करते हैं
ज़ुल्म तहज़ीब है, तमद्दुन है
क्योंकि आलमपनाह करते हैं
उससे कहते हैं दुनिया फ़ानी है
जिसकी दुनिया तबाह करते हैं
तज़्किरा सुन के अपना शे’रों में
दर्द भी वाह-वाह करते हैं
हम भी बैठे हैं उनकी महफ़िल में
देखिये कब निगाह करते हैं
किस तरह जाल को उड़ें लेकर
कुछ परिन्दे सलाह करते हैं
वक़्त कल होगा आपके हक़ में
फ़िक्र क्यों ख़ामख़्वाह करते हैं
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पुस्तक का नाम
रौशनी महकती है
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