नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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हम जो थोड़ा-सा डगमगाने लगे
हम जो थोड़ा-सा डगमगाने लगे
लोग समझे कि अब ठिकाने लगे
बाप का कर्ज़ है वहीं का वहीं
जबकि बेटे भी सब कमाने लगे
हाथ उतने ही हो गये ख़ाली
मुल्क में जितने कारख़ाने लगे
यूँ लगा पेट पर पड़ीं चोटें
आप जब मेज़ थपथपाने लगे
इन अंधेरों का क्या करें, ये तो
रौशनी की तरफ़ से आने लगे
देख कर आँसुओं की हमदर्दी
मेरे एहसास मुस्कराने लगे
ज़िक्र मैं कर रहा था दुनिया का
आप नाहक नज़र चुराने लगे
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