नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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बहस को करते हो क्यूँ इस क़दर तवील मियाँ
बहस को करते हो क्यूँ इस क़दर तवील मियाँ
हर एक बात की होती नहीं दलील मियाँ
अजब ये दौर है सब फ़ाख़्ता उड़ाते हैं
नहीं तो काम ये करते थे बस ख़लील मियाँ
हुज़ूम तश्नालबों का है हर तरफ लेकिन
दिखाई देती नहीं एक भी सबील मियाँ
सफ़ेद झूठ से सच हार जाएगा, तय है
बशर्ते ढूंढ लो शातिर कोई वकील मियाँ
हमारे जिस्म पे बेशक़ कोई खरोंच नहीं
हमारी रूह पे हैं बेशुमार नील मियाँ
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