नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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सदियों की रवायत है जो बेकार न कर दें
सदियों की रवायत है जो बेकार न कर दें
दीवाने कहीं मरने से इन्कार न कर दें
इल्ज़ाम न आ जाए कोई मेरी अना पर
अहबाब मेरा रास्ता हमवार न कर दें
इस ख़ौफ़ से उठने नहीं देता वो कोई सर
हम ख़्वाहिशें अपनी कहीं मीनार न कर दें
मुश्क़िल से बचाई है जो एहसास की दुनिया
इस दौर के रिश्ते उसे बाज़ार न कर दें
ये सोच के नज़रें वो मिलाता ही नहीं है
आँखें कहीं जज़्बात का इज़हार न कर दें
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