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प्रतिभार्चन - आरक्षण बावनी

सारंग त्रिपाठी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 1985
पृष्ठ :40
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15464
आईएसबीएन :0

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५२ छन्दों में आरक्षण की व्यर्थता और अनावश्यकता….



संकल्प




जिस तरह रहना पड़े रह लेंगे हम,

फूल-काँटे जो मिलें सहलेंगे हम।

बात यदि कोई हलक तक आ गई,

लाख ताले  हों पड़े   कह लेंगे हम।








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