नई पुस्तकें >> प्रतिभार्चन - आरक्षण बावनी प्रतिभार्चन - आरक्षण बावनीसारंग त्रिपाठी
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५२ छन्दों में आरक्षण की व्यर्थता और अनावश्यकता….
न्यायालयों के निर्णय-सूत्र
"पदोन्नतियों में आरक्षण, मूल अधिकारों ( भारतीय संविधान का अनुच्छेद) (16) 1 के खिलाफ है।
1- रंगाचारी बनाम जनरल मैनेजर दक्षिण रेलवे 1962
2-टी. देवदासन बनाम यूनियन आफ इंडिया 1964"
सर्वोच्च न्यायालय
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वर्ग शब्द जाति शब्द का पर्याय नहीं माना जा सकता।
पटना उच्च न्यायालय
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"9-12-77 जे0 सी0 मलिक एवं अन्य बनाम चिरंजीवलाल एवं अन्य के मामले में भी जातीय आरक्षण के आधार पर पदोन्नतियों को असंवैधानिक करार दिया है, जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने भी 24-4-75 को स्पेशल लिव पिटीशन सं0 725/1978 के निर्णय द्वारा कर दी है।"
इलाहाबाद उच्च न्यायालय
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"सरकार का आरक्षण आदेश मान्य नहीं है।"
सभी मुख्य न्यायाधीश
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