नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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नागफनी ने कुछ दंशन दिये उछाल
नागफनी ने कुछ दंशन दिये उछाल।
उलझ गये कँपते रूमाल।
कागज के गुलदस्तों ने
मुँह बिचकाया
इत्र भरी शीशी का बदन कसमसाया
बहुत ही करीब रही तरुणी संथाल
पल्लू के तले दिये बाल।
प्लास्टिक के फूल
कौन ताजे
क्या बासी ?
मुसकानों के पीछे झाँकती उदासी
ज्योति के फरिश्तों की भूमिका, कमाल
धुआँ उगलती रही मशाल।
गौतम औ' जीसस से
सजे हुए आले।
भांति भाँति की मछली
जारों में पाले।
आँखों में बुनियादी सुलगते सवाल
दरकी शीशे की दीवाल।
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