नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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एक आदिम अवज्ञा का
एक आदिम अवज्ञा का
ध्वज लिये आदम
कौन था ? कुछ याद तुमको ?
सिर्फ थे तुम हम।
व्यवस्थाओं ने हमें दी
हथकड़ी बेड़ी
मुक्ति की है शर्त पहली
भौंह हो टेढ़ी।
चलो हर शह पर उड़ायें अवज्ञा परचम।
मूल्य की देकर दुहाई
किये अवमूल्यन
कई खेमों में बँटें हैं
कौम के रहजन
चलो, जिसको हो गवारा जान का जोखम।
अस्वीकृतियाँ, अस्वीकृतियाँ
उलंघन क्षण-क्षण
चलो विकसित करें मिलकर
अवज्ञा दर्शन।
हर अवज्ञा की अपेक्षा, अवज्ञा एवम्।
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