नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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पत्थर की बारिश में
पत्थर की बारिश में
काँच के घरौंदे
चीर गये कचकोहिल गुलाबी करौंदे।
दूध की धुली उजली
झलकती दतुलियाँ
छीमी जैसी
प्यारी प्यारी अंगुलियाँ
स्वप्न दुधाइन
फौजी बूटों के रौंदे।
पिंजरे के बाहर का
आसमान झूठा
ऐसे फैलावों ने मैना को लूटा
पेंगों पर बिजली की नज़र कड़क कौंधे।
चौखानों में बंधी
बँटी जन्म कुण्डली
कभी राहु से
कभी केतु से गयी छली।
प्यासों को मिले यहाँ रिक्तपात्र औंधे।
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