नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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प्रतिपदा से अमावस्या
प्रतिपदा से अमावस्या
अमावस से पूर्णिमा
नित्य उजली हँसी का संघर्ष है प्रिय चन्द्रमा।
स्वयं को तिल तिल खपाना,
फिर स्वयं को सिरजना
अर्थहीन निषेध सारे
निरर्थक है वर्जना
तिमिर की हर चोट पर उत्कर्ष है प्रिय चन्द्रमा।
सूर्य की जलती विरासत का
ध्वजावाही विरल।
ग्रहण झेले, अमृत बाँटे,
सहोदर नीला गरल।
बादलों के व्यूह में दुर्धर्ष है प्रिय चन्द्रमा।
परमशिव का मुकुटमणि है,
राजरोग कलंक भी,
विघ्न के सिर पाँव रखता,
तुमुल जय-ध्वनि शंख भी।
एक आश्वासन दुखों पर हर्ष है प्रिय चन्द्रमा।
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