नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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मेरी बदचलनी का अंदाज नया
मेरी बदचलनी का अंदाज नया,
में अदना सा
कमजोर आदमी हूँ
फिर भी मानो,
किंचित भयभीत नहीं
यूँ अक्सर नीलामी बोली जाती
पर उनमें हूँ जो अब तक क्रीत नहीं
हर दिन की एकादशी तोड़ती है,
नरका चौदस हो या हो महालया।
अनुशासन के लेबल में कायरता,
कानून व्यवस्था शीर्षक से हो ली
उपदेशदूसरों की खातिर होते,
अपनी जो करनी होनी थी हो ली।
जो विनय, दैन्य का पिण्ड माँगती है,
उसको पहुँचा आया हूँ अभी गया।
हर पर दारा
मेरी माँ बहिन नहीं
पर मित्र नहीं वह हो सकती है क्यों ?
भाई साहब या बहिन ओट देकर
दोयज की रोली रोती थकती क्यों ?
आमंत्रण है मैत्री के घेरे में
नीरा, पम्मी, सोफी हो,
रमा, जया।
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