नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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सब अकारथ दिखा
सब अकारथ दिखा
जो अभी तक लिखा
अपशकुन के अधर रोप दी स्वस्तिका।
एक सार्थक हंसी
टीस बारीक सी
एक नन्ही किलक
कण्ठ में जो फँसी।
हो न पायी मुखर
लिख सतर पर सतर
व्यर्थ अभिव्यक्ति की खोखली भूमिका।
आँसुओं की डसी
एक कनखी बसी
भूख घर बार में
बाध्य एकादशी
यह अजब सिलसिला
स्वर न इनको मिला।
काँप कर रह गयी लेखनी तूलिका।
एक मुट्ठी कसी
एक श्लथ बेबसी
एक सूनी नज़र
एक छाती धंसी
यह न आते उतर
कुन्द हैं शब्द शर
अंध पूजन सदा खण्डिता मूर्ति का।
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