लोगों की राय

नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की

सुबह रक्त पलास की

उमाकांत मालवीय

प्रकाशक : स्मृति प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1976
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15463
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…


39

इन अँधेरे जंगलों में


इन अँधेरे जंगलों में
आग का लगना जरूरी
अन्यथा भूमिका मेरी
छूट जायेगी अधूरी

नजरबन्द पड़ी यहाँ पर
भोर की बागी किरन है
नींद की गोली डकारे
ऊँघता हर जागरण है।
मरुथलों में खो गयी है पीढ़ियाँ पीढ़ियाँ पूरी।

दर्प के काँटे उगाये
खड़े बेर बबूल सारे
मूर्छिता संवेदनायें
अहं के सौ लौह द्वारे
सेमली संकल्प चटखे उड़ गये निश्चय कपूरी।
 
दाँत नख औ' दुम उगाये
आदमी का काफिला है
हिंस्र पशु हर ओर मिलते
पर नहीं आदम मिला है।
ओंठ पर है राम सबके पर बगल में छिपी छूरी।
 
0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai