नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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गोदामों में भर लें धूप हवा पानी
गोदामों में भर लें धूप हवा पानी
साँसों का ब्लैक करें
और रकम काटें
दोनों हाथों उलीच कर
अकाल बाँटे।
बढ़ती आबादी की गुत्थी सुलझानी।
अभी युद्ध जीता है
सभी चुप रहेंगे
नभ छूते दामों को
मौन हो सहेंगे।
कहाँ मिलेगा ऐसा मौका लासानी ?
जनता पर तो ऋण है
रक्त शहीदों का
ब्याज खुद हड़प लें
क्या काम मरभुखों का
सुबह शाम दुहरायें किस्से बलिदानी।
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