नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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भूमिकायें दोगली
भूमिकायें दोगली
तुम खेलते, हम झेलते हैं।
भाषणों के
तैरते जलयान
ताली के समुन्दर।
एक हलकी थाप
नारे सब भगे जैसे छछूँदर।
नित्य नव प्रस्ताव पर प्रस्ताव पापड़ बेलते हैं।
शोषकों के साथ
सीमित स्वार्थ
एक मिली भगत है
छोड़कर सन्दर्भ व्यापक
जेब भर लो एक व्रत है।
भेंड़ का पर्याय कहकर भीड़ आप ढकेलते हैं।
सेठ, शासन और नौकरशाह
नेता कर्मचारी
एक समझौता अपावन
के तहत निभ रही यारी।
चोर के संग
साह के संग
एक ही संग खेलते हैं।
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