नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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आयातित नारों के नाम
आयातित नारों के नाम
लो कच्ची सुबहें नीलाम
एक सुबह के
कलरव बोल
में किसने जहर दिये घोल।
मोटी हो गयी बहुत खाल
हम तो प्रभु कब के निष्काम।
एक सुबह
हंसों सी चाल
बैसाखी पर टिकी कमाल
सुबहों के बाजीगर खूब तुमको तो दूर से प्रणाम।
एक सुबह की रोशन आँख
फोड़ दी गयी चुभो सलाख
कंचनमृग भ्रामक आखेट, प्रवञ्चना अन्तिम परिणाम।
एक सुबह
गाल का गुलाल
बेंच हाट में हुई निढाल
क्षेपक में उजले सन्दर्भ
धुंधलाये सारे आयाम।
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