लोगों की राय

नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की

सुबह रक्त पलास की

उमाकांत मालवीय

प्रकाशक : स्मृति प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1976
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15463
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…


32

आयातित नारों के नाम


आयातित नारों के नाम
लो कच्ची सुबहें नीलाम

एक सुबह के
कलरव बोल
में किसने जहर दिये घोल।
मोटी हो गयी बहुत खाल
हम तो प्रभु कब के निष्काम।

एक सुबह
हंसों सी चाल
बैसाखी पर टिकी कमाल
सुबहों के बाजीगर खूब तुमको तो दूर से प्रणाम।

एक सुबह की रोशन आँख
फोड़ दी गयी चुभो सलाख
कंचनमृग भ्रामक आखेट, प्रवञ्चना अन्तिम परिणाम।

एक सुबह
गाल का गुलाल
बेंच हाट में हुई निढाल
क्षेपक में उजले सन्दर्भ
धुंधलाये सारे आयाम।
 
0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai