नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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फैसले और हम में फ़ासले
फैसले और हम में फ़ासले
कितने अथाहे फ़ासले।
हवा की जो दिशा
उड़ती खाक की वह दिशा होती
मुर्ग मौसम को भला क्या
प्रभाती हो या सँझौती।
क्रीत लोगों के लिये क्या
रास्ते, मञ्जिल, मरहले।
पीपलों पर खुदे
उन हस्ताक्षरों का क्या भरोसा
बुलबुले हम
जिये क्षण को
नहीं क्षण को कभी कोसा।
एक सफर अछोर
बयाबाँ में भटकते काफ़ले।
धुंध पर देकर
अँगूठा निशानी
भौचक बिके से
रह गये हम
महज़ दस्तावेज़
पानी पर लिखे से।
शून्य गुणते शून्य फलतः शून्य के
सौ सिलसिले।
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