नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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गत को दधि-अक्षत्
गत को दधि-अक्षत्
आगत् को स्वागतम्
क्षत विक्षत वर्तमान
क्या करें।
स्थगित गति पाँवों में
दुखता कुहराम
खलता सन्नाटे का कोलाहल
सम्भावनाओं पर
टँक गये विराम
भक्ति से प्रवंचित नत विन्ध्याचल।
निश्चय श्लथ आहत
खण्डित संकल्प स्वयं
और अपाहिज विहान
क्या करें ?
केवल प्रस्ताव
समर्थन अनुमोदन
मेज़ों पर कागज़ी कपोत जुड़े
पंख फड़फड़ाते हैं
बेबस रोदन
दबे पेपरवेट तले, क्या उड़े
प्रश्नों की आदत
फिर कैसे यम नियम
मुरझाये फूल पान
क्या करें !
फिर उद्धत विद्रोहों के समझौते
फिर घायल वादों के अस्पताल
फिर बड़े बाप के बेटे इकलौते
मछली बंसी बगुला भगत जाल
हरी ओम् तत्सत
डकार ले गये हम
बंधक हैं स्वाभिमान
क्या करें!
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