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सुबह रक्त पलास की

उमाकांत मालवीय

प्रकाशक : स्मृति प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1976
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15463
आईएसबीएन :0

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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…


28

कहाँ आ गये ?


कहाँ आ गये ?

सुन पड़ती
एक दो हज़ार दस्तकें
भाँति भाँति की शक्लें
खुली पुस्तकें।
पढ़ना था क्या,
भाई क्या पढ़ा गये।

हर पहचानी सूरत
लगे अजनबी
ऐसा भी होता है
क्या कभी कभी
भूलभुलैया जैसे मोड़ सौ नये।
 
चेहरे पर कोई
भूडोल डोलता
दरक गयी झुर्री के
राज खोलता।
बड़े दूध के धोये हम, न तुम, न ये।

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