नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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अधियारे जंगल में एक मोमबत्ती
अधियारे जंगल में एक मोमबत्ती
काजल के छटने का
प्रण रत्ती रत्ती।
भीतर की,
एक अदद
गंध के सहारे
बदबू के घने घने
घूर को बुहारे।
गुन गायें पीर बरम औ' मैया सत्ती।
जहाँ कहीं
आंखों के दिये डबडबाये
अधर पर जुन्हाई के
पर्व उतर आये।
जुगनू के दीप उगाये पत्ती पत्ती।
दम घोटू धुआँ जहाँ
कुण्डलियाँ मारे
वहाँ चलो किरनों के
काफले उतारें
तहखाने, तिजोरियां छत्ती दो छत्ती।
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