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सुबह रक्त पलास की

उमाकांत मालवीय

प्रकाशक : स्मृति प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1976
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15463
आईएसबीएन :0

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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…


26

कहाँ कहाँ


कहाँ कहाँ
किसे दें उलाहने
अंधों के हाथ लगे आइने।
 
आईनों की कलई खुल गयी
रही सही थी
जो भी धुल गयी।
सभी लगे हैं बगली झाँकने।
 
हम दादुर
प्रभु जी ! तुम हो कुँआ
नियति हमारी महज हुआ हुआ।
रँगे स्यार कर लगे उगाहने।

चौराहों पर जुलूस हाँफते
मृगछाले कुर्सियाँ तलाशते।
श्वानों पर रीझ गयीं बाघिने।
 
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