नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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रस्मी विद्रोह-भरी जेब में
रस्मी विद्रोह-भरी जेब में
हथगोले
पालतू मिले।
मुखबिर विप्लव की मुद्रा
लजवन्ती सी छुई मुई
तुतलाती व्याख्याओं में
परिभाषित क्रान्तियाँ हुईं।
हरित, धवल
लाल क्रान्तियां महज़
पानी पर तैरते किले।
हड़तालें ब्रीफकेस में तहियाकर छोड़ दी गयीं
भूखों की विवशता करुण अनशन से जोड़ दी गयी
झण्डों के दल बदल जुलूस में शामिल आक्रोश पिलपिले।
नौटंकी स्वांग रच रहे
कैसे अभिशप्त जलजले
कोर्निश करते ज्वालामुखि
सिंहासन के तले तले।
दिल जोई के लिये घिराव के
आन्दोलन शोख़ सिलसिले।
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