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सुबह रक्त पलास की

उमाकांत मालवीय

प्रकाशक : स्मृति प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1976
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15463
आईएसबीएन :0

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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…


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ना तो सतर का हूँ


ना तो सतर का हूँ
ना ही कतारों का
जो सर उठाये हैं
उन देवदारों का।
 
अपने अहं का हूँ,
अपनी इकाई का
जो आर्त टेरे है
उसकी दुहाई का
ना भीड़ लहरों की
नाही कगारों का
जो प्यार से भेंटे उन यादगारों का।
 
ना लीक का हामी
ना हूँ शिविर स्वामी
ना हाट का हूँ मैं
ना बोल नीलामी
ना दर्प का दंशन
थोथे विचारों का
जो राह पर मिलतीं उन जीत हारों का।
 
विग्रह अमन सारे
यह पालतू नारे
उन राजनेता के
हर दांव जो हारे
 
नेता न अभिनेता
ना मठ निहारों का
मैं हर सिंगारों का, जलते अँगारों का।
 
ना फूल अचकन का
ना शूल अड़चन का
ना फूल गमलों का
मैं फूल वन बन का।
अपने भरोसे हूँ
ना हूँ सहारों का
आकाश जो छूलें ऐसे चिनारों का।

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