नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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मोम के जवाब दिये
मोम के जवाब दिये
सुलगते सवालों को।
सारे अभियानों की
एक ही नियति है
पाँवों में दुखती सी
हकलाती गति है
भक्तों ने ही गिरवी रख दिया शिवालों को।
हल जितने कुंद
विघ्न उतने ही पैने हैं
पाँव में पहाड़ बाँध
कतर लिये डैने हैं
भूख मुँह चिढ़ाती है स्वर्ण के निवालों को।
आक्रोशों ने
ओढ़ीं कत्थक मुद्रायें
मेज़ साफ करने को
रह गयीं ध्वजायें।
मुखबिर विद्रोहों ने शह दी दीवालों को।
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