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सुबह रक्त पलास की

उमाकांत मालवीय

प्रकाशक : स्मृति प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1976
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15463
आईएसबीएन :0

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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…


1

जिन्दगी नेपथ्य में गुजरी


जिन्दगी नेपथ्य में गुजरी
मंच पर की भूमिका तो सिर्फ अभिनय है।

मूल से कट कर रहे

परिशिष्ट में
एक अंधी व्यवस्था की दृष्टि में।
जिंदगी तो कथ्य में गुजरी
और करनी ?
प्रश्न से आहत अनिश्चय है।

क्षेपकों के
हाशियों के लिये हम
दफ्न होते कागजी ताजिये हम
ज़िंदगी तो पथ्य में गुज़री
और मन बीमार का परहेज़ संशय है।

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