नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
|
0 5 पाठक हैं |
सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
1
जिन्दगी नेपथ्य में गुजरी
जिन्दगी नेपथ्य में गुजरी
मंच पर की भूमिका तो सिर्फ अभिनय है।
मूल से कट कर रहे
परिशिष्ट में
एक अंधी व्यवस्था की दृष्टि में।
जिंदगी तो कथ्य में गुजरी
और करनी ?
प्रश्न से आहत अनिश्चय है।
क्षेपकों के
हाशियों के लिये हम
दफ्न होते कागजी ताजिये हम
ज़िंदगी तो पथ्य में गुज़री
और मन बीमार का परहेज़ संशय है।
0 0 0
|
लोगों की राय
No reviews for this book