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सुबह रक्त पलास की
सुबह रक्त पलास की
प्रकाशक :
स्मृति प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 1976 |
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 15463
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आईएसबीएन :0 |
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0
5 पाठक हैं
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
21
अपने चारों तरफ सीखचे
अपने चारों तरफ सीखचे
हमने खुद ही उगाये रचे।
सांस सांस पर
कोरी शंका के पहरे
अनागिन आवाजें हैं
पर हम तो बहरे।
रूढ़ व्यवस्थाओं के शिथिल हुए पाँयचे।
धूप सदा
चश्मों के माध्यम से देखी,
ऊष्मा से
आँख चुरायी
मारी शेखी।
बाँसों के जंगल में भी दावानल पचे।
ऐश ट्रे में
बुझती सिगरेट सी शामें।
काकी के प्यालों में
घुटते हंगामे।
बाँझिन बहसों से नित भरे रोजनामचे।
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पुस्तक का नाम
सुबह रक्त पलास की
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