नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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आ गया प्यारा दशहरा
आ गया प्यारा दशहरा,
भेंट लाया हूँ, तुम्हारे लिये बेटे !
पुलिस की मजबूत बूटों से,
अभी रौंदा हुआ ताज़ा ककहरा।
बड़े नाजों से,
तुम्हें पाला सहेजा
हर मुसीबत उठाकर भी
स्कूल भेजा।
सिर्फ इस खातिर कि कोई एक गोली,
चाट जाये यह तुम्हारा तन इकहरा।
आँसुओं की कमी क्या
जो गैस छूटे,
उफ अजब कानून
लाठी के अनूठे।
पर उठाओ माथ गर्वीला उठाओ,
बींधती संगीन सूर्योदय सुनहरा।
बड़ा आ से आग होती
यही रटते
सिलेटों के इन्द्र धनुषी
स्वप्न मिटते
लो उठो उपहार पूजा का सम्हालो
खून से लथपथ मूर्छित भाइयों का
सांवला गोरा बदन बाँका छरहरा।
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