नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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टहनी पर फूल जब खिला
टहनी पर फूल जब खिला,
हम से देखा नहीं गया।
एक फूल निवेदित किया,
गुलदस्ते के हिसाब में,
पुस्तक में एक रख दिया,
एक पत्र के जवाब में।
शोख रंग उठे झिलामिला
हम से देखा नहीं गया।
प्रतिमा को
औ' समाधि को
छिन भर विश्वास के लिये
एक फूल जूड़े को भी
गुनगुनी उसांस के लिये।
अलिगुंजन गंध सिलासिला
हमसे देखा नहीं गया।
एक फूल विसर्जित हुआ
मिथ्या सौंदर्य बोध को
अचकन की शान के लिये,
युग के कापुरुष क्रोध को
व्यंग्य टीस उठी तिलमिला।
हम से देखा नहीं गया।
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