नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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भीड़ की ज़रूरत है
भीड़ की ज़रूरत है
भीड़, जो दीन हो, हीन हो
सिर धुनती हो
भीड़ जो घूरे पर से
दाना बिनती हो।
भीड़, जो नायक का सगुन है, मुहूरत है।
भीड़, जो जुलूस हो, पोस्टर हो, नारा हो
भीड़,
जो जुगाली हो,
सींग, दुम, चारा हो
भीड़, जो बछिया के ताऊ की सूरत है।
भीड़, जो अंधी हो
गूंगी हो,
बहरी हो।
भीड़, जो बँधे हुए पानी सी ठहरी हो।
भीड़, जो मिट्टी के माधो की मूरत है।
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