नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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बालू से तेल तुम निचोड़ोगे ?
बालू से तेल तुम निचोड़ोगे ?
कब तक?
शब्दवेधी बाण तुम छोड़ोगे ? कब तक ?
दिशा दिशा से उठते
तैरते अँधेरों में
दिये और जुगनू की
हत्या के घेरों में।
दोपहरी में सूरज तोड़ोगे ? कब तक ?
इतिहासों को झुठलाती हुई किताबों पर
अचकन में टँके हुए ढीठ कुछ गुलाबों पर
धधकते से सच को मरोड़ोगे ? कब तक ?
बहलाओगे कोरे नारों से ?
मंत्रों से ?
परिचित हो चले सभी
घिनहे षड्यन्त्रों से।
बढ़ते सैलाबों को मोड़ोगे?
कब तक?
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