लोगों की राय

नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की

सुबह रक्त पलास की

उमाकांत मालवीय

प्रकाशक : स्मृति प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1976
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15463
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…


8

कभी कभी


कभी कभी
बहुत भला लगता है।
चुप चुप सब कुछ सुनना
और कुछ न बोलना।
 
कमरे की छत को
इकटक पड़े निहारना
यादों पर जमी धूल को
महज़ बुहारना।
कभी कभी
बहुत भला लगता है
केवल सपने बुनना
और कुछ न बोलना।

दीवारों के
उखड़े प्लास्टर को घूरना
पहर-पहर
सँवराती धूप को बिसूरना
कभी कभी
बहुत भला लगता है हरे बाँस का घुनना
और कुछ न बोलना।

कागज पर
बेमतलब की सतरें खींचना
बिना मूल नभ छूती
अमरबेल सींचना
कभी कभी
बहुत भला लगता है
केवल कलियाँ चुनना
और कुछ न बोलना।

अपने अन्दर के
अँधियारे में हेरना
खोयी कोई
उजली रेखा को टेरना।
कभी कभी
बहुत भला लगता है
गुमसुम सब कुछ गुनना
और कुछ न बोलना।

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book