लोगों की राय

नई पुस्तकें >> प्रेरक कहानियाँ

प्रेरक कहानियाँ

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15422
आईएसबीएन :9781613016817

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

समस्या का सामना करो

एक बार स्वामी विवेकानन्द सागर-तट पर भ्रमण कर रहे थे। वे ध्यान में मग्न थे अचानक सामने से बड़े-बड़े बन्दर आ गये। स्वामी जी का ध्यान उस ओर तब गया जब वे बन्दरों के काफी नजदीक पहुँच गये थे। उन्होंने देखा कि बन्दर आक्रामण स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। वे उन्हें देख घबरा गये और कुछ देर के लिए किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये। आगे जाने का मार्ग नहीं था, अतः वे पीछे मुड़ कर भागने लगे। बन्दरों का स्वभाव ही विचित्र होता है, जब वे समझते हैं सामने वाला डर गया है तो फिर और जोर से हल्ला बोल देते हैं।

स्वामी जी के साथ भी ऐसा ही हुआ। स्वामी जी आगे-आगे भाग रहे थे और बन्दरउनके पीछे-पीछे दौड़ रहे थे। स्वामी जी के प्राणों पर बन आयी थी, तभी उनके कानों में एकआवाज आयी, "भागो मत, तन कर वहीं खड़े हो जाओ, डरो नहीं।"

मरता क्या न करता। वे अन्य उपाय न देख पलट गये और बन्दरों की ओर मुँह करके गम्भीर मुद्रा में खड़े हो गये। मन ही मन डर भी रहे थे।

यह तो चमत्कार हो गया। स्वामी जी के तन कर खड़े होते ही बन्दर क्षण भर के लिए रुके और फिर पलट कर वापस चले गये।

स्वामी विवेकानन्द को इस घटना से बड़ी प्रेरणा मिली। सायंकाल जब एक स्थान पर उनका भाषण था तो उन्होंने उस घटना का उल्लेख करते हुए कहा, "उन विकराल बन्दरों से डर कर मैं भाग रहा था और यदि उसी प्रकार भागता रहता तो निश्चित ही मेरा बचना कठिन हो जाता। बन्दर मुझे नोच डालते।

 "किन्तु मैं उनके सामने तन कर खड़ा हो गया, मुझे निडर की भाँति खड़ा देखकर बन्दर स्वयं डर कर भाग गये।

"मनुष्य को चाहिए कि इसी प्रकार समस्याओं और संकटों से भागने से वे दूर नहीं होते। साहस, धीरता तथा वीरता से उनका सामना करना ही एकमात्र उपाय है जिससे समस्या हल हो जाती है।"

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai