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प्रेरक कहानियाँ

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15422
आईएसबीएन :9781613016817

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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

जीवन क्या है?

महात्मा टालस्टाय से एक जिज्ञासु व्यक्ति ने प्रश्न किया, "जीवन क्या है?"

जिसका उत्तर देते हुए महात्मा टालस्टाय ने यह कहानी सुनाई-

एक बार एक यात्री जंगल के मार्ग से अपने गन्तव्य की ओर जा रहा था। तभी अचानक एक जंगली हाथी ने उस पर झपट्टा मारा। बचाव का अन्य कोई मार्ग न देख वह पास ही बने कुएँ में कूद गया। कुएँ के बीच में एक बरगद का पेड़ था। यात्री उसकी एक टहनी पकड़ कर लटक गया।

अपनीरक्षा के लिए जब वह इधर-उधर देख रहा था तो जब उसकीदृष्टि कुएँ के तल पर गयीतो वहाँ कोई सूखा स्थान होने की जगह साक्षात् मृत्यु खड़ी दिखाई दी। एक विकराल मगरमच्छ उसके पेड़ से नीचे गिरने की प्रतीक्षा कर रहा था। भय से काँपते उस व्यक्ति की निरुपाय आँखें ऊपर पेड़ पर गयीं तो देखा, शहद का एक छत्ता लटक रहा है और उससे बूंद-बूंद शहद टपक रहा है। उसके मुँह में पानी आ गया। वह भय को भूल गया और उसने टपकते हुए शहद की बूंदों की ओर अपना मुँह खोल दिया। वह टपकने वाली बूंदों का स्वाद लेता रहा।

किन्तु यह क्या?

उसको यह देख कर आश्चर्य हुआ कि बरगद की जिस टहनी को पकड़ कर वह लटका हुआ है उसे एक सफेद और काला चूहा कुतर रहे हैं और टहनी थोड़ी ही देर में टूटने वाली थी।

कहानी पूर्ण होने के बाद भी जिज्ञासु का मुँह प्रश्न की मुद्रा में उठा हुआ था। यह देख महात्मा टालस्टाय ने कहा, "समझे कि नहीं?"

जिज्ञासु चुप रहा। टालस्टाय ने उसे समझाया कि वह हाथी काल था, मगरमच्छ मृत्यु था, मधु जीवन रस था, काले और सफेद चूहे दिन और रात थे।

"इन सबका सम्मिलित नाम ही जीवन है।"

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