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पलायन

वैभव कुमार सक्सेना

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15417
आईएसबीएन :9781613016800

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गुजरात में कार्यरत एक बिहारी मजदूर की कहानी

5

अमरकांत ने बैग खोलकर देखा कुछ कपड़े और एक फाइल हाथ लगी इसमें कई कागजात रखे हैं। अमरकांत ने होटल पहुँचकर उस समान के मालिक को ढूंढने का मन बनाया।

ढूंढने पर सामान के मालिक का मोबाइल नंबर पता चल जाता है। सामान की मालिक एक 23 वर्षीय गुजराती है जिसका नाम दीप्ति है।

अमरकांत ने फोन लगाया कहा –"क्या आप दीप्ति ही बोल रही है?”

दीप्ति ने अचंभित होते हुए कहा –"हां बोलिए!”

अमरकांत ने कहा कि – "मुझे एक काला बैग मिला है इसमें कुछ कपड़े और एक फाइल है।"

दीप्ति ने कहा- "किसका बैग है?”

अमरकांत बोला- "शायद आपका! उसमें दीप्ति नाम के कागज है।"

दीप्ति ने पूछा- "आप कहाँ हैं?”

अमरकांत- "हरिद्वार!”

दीप्ति को अब बात समझ आ गई । दीप्ति ने कहा – "शायद हमारे बैग बदल गए हैं, मैं भी पिताजी के साथ हरिद्वार आई थी।"

दीप्ति ने बताया कि वह अहमदाबाद से देहरादून इंटरव्यू के लिए आई है उसके साथ उसके पिताजी भी आए हैं। पिताजी की इच्छा पर दर्शन के लिए हम हरिद्वार रुके थे स्टेशन पर सामान पिताजी के हाथ में था शायद उनसे बदल गया।

समस्या को गंभीर बताते हुए कहा कि कल उसका इंटरव्यू है और फाइल की उपस्थिति अनिवार्य है।

अमरकांत ने दीप्ति को कहा- "ठीक है मैं जल्द ही देहरादून आता हूँ आप चिंता न करें।"

दीप्ति के अहमदाबाद से होने के कारण अमरकांत के मन में मदद करने की इच्छा तेज हो गई। अमरकांत परिवार को छोड़कर नहीं जा सकता था अमरकांत ने सुबह की पहली बस से देहरादून जाने का मन बनाया। साथ ही माँ पिताजी को मसूरी घूमने जाने की योजना बताई।

अमरकांत की अगले दिन सुबह पहली बस से देहरादून जाने की बात सुनकर माँ बोली – "नहीं नहीं ! पहले ऋषिकेश चलेंगे बाद में समय रहते मसूरी-फसूरी चलेंगे।"

अमरकांत ने बात को पलटते हुए कहा, "नहीं नहीं ! ऋषिकेश तो हम लौटते समय भी आ जाएंगे। मसूरी कब बार-बार जा पाते हैं? क्या पता फिर समय मिले न मिले? मसूरी बहुत ही अच्छी जगह है हम मसूरी ही जाएंगे।"

भाई ने कहा- "लेकिन अचानक मसूरी का प्लान।"

अमरकांत ने कहा- "क्यों आपको मंदिर ही अच्छे लगते हैं? घूमने को और कुछ नहीं। मसूरी हमारा प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। क्या गए हैं आप इससे पहले?"

भाई ने कहा- "अच्छा ठीक है चलो कुछ नया देखने को तो मिलेगा। घूमने का आनंद और बढ़ जाएगा।"

अमरकांत ने कहा- "मैंने मसूरी जाने का तो पहले से ही प्लान बनाया था। बस बताना भूल गया।"

अमरकांत ने फोन कर दीप्ति की चिंता को दूर करते हुए बताया कि वह कल सुबह की पहली बस से देहरादून आ जाएगा। तुम्हारा सारा सामान लाएगा।

अमरकांत होटल के रिसेप्शन पहुँच गया और बोला- "हम एक ही दिन रुक रहे हैं, कल सुबह देहरादून को निकलेंगे।"

रिसेप्शनिस्ट ने बोला- "मगर आपकी तो दो दिन की बुकिंग थी।"

अमरकांत ने कहा- "हाँ! पहले यहीं से ऋषिकेश जाने का प्लान था मगर अभी थोड़ा काम आने के कारण पहले देहरादून जा रहे हैं।"

"फिर आप अगले दिन की बुकिंग का क्या करेंगे?”

अमरकांत ने बोला- "ठीक है आप अगले दिन के पैसे लौटा दीजिए।"

रिसेप्शनिस्ट- "पैसे तो वापस नहीं होते लेकिन मैं फिर भी आपके लिए मैनेजर से बात करता हूँ।"

मैनेजर से बात कर रिसेप्शनिस्ट ने अमरकांत को होटल खाली करते समय आधे पैसे लौटने की बात कही।

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