लोगों की राय

नई पुस्तकें >> पलायन

पलायन

वैभव कुमार सक्सेना

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15417
आईएसबीएन :9781613016800

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

गुजरात में कार्यरत एक बिहारी मजदूर की कहानी

11

थोड़े समय बाद दीप्ति तैयार होकर बाहर निकली। देखा तो अमरकांत वहां नहीं था। दीप्ति को लगा उसको अन्दर घरवालों को समझाने में समय ज्यादा लग गया और अमरकांत इंतजार कर कर वापस लौट गया। लेकिन एक बार फोन तो करना चाहिए था।

दीप्ति ने वापस अमरकांत को फोन लगाया और उसकी घर की गली के बाहर आने का आग्रह किया। अमरकांत दीप्ति का दिल नहीं तोड़ना चाहता था अमरकांत ने मोटरसाइकिल वापस दीप्ति के घर की और मोड़ ली। दीप्ति गली के पास ही खड़ी थी। दीप्ति अमरकांत के पास पहुँची और बोली, "चलो !”  अमरकांत ने पूछा "कहाँ चलें?”

दीप्ति हंसते हुए कहा, "जहां तुम्हारी मर्जी!”

अमरकांत को साबरमती नदी बहुत पसंद थी अमरकांत ने कहा, "साबरमती चलें।"

दीप्ति ने कहा- "ठीक है चलो।"

अमरकांत दीप्ति को लेकर साबरमती तट पहुँचा।

दीप्ति ने कहा- "तुमने मसूरी में बताया नहीं की तुम अहमदाबाद में रहते हो।"

अमरकांत ने कहा- "तुमने पूछा भी तो नहीं।"

दीप्ति ने कहा- "अच्छा! कब से हो अहमदाबाद में?”

अमरकांत ने बताया वह पिछले तीन वर्ष से यहां नौकरी कर रहा है और आज ही उसने इस्तीफा दे दिया।

दीप्ति ने चौंक कर कहा- "क्यों?”

अमरकांत ने हंसते हुए कहा- "तुम जो अब मुझे नौकरी दिलवा रही हो।"

दीप्ति ने कहा- "नहीं नहीं, सच बताओ।"

"बता दूंगा पहले कुछ खा लो।"

दीप्ति ने कहा, "क्या खाएंगे? बाहर का मुझे ज्यादा कुछ पसंद नहीं।"

तभी अमरकांत को लड्डुओं का ध्यान आया। अमरकांत ने दीप्ति से कहा- "मुझे पता था तुम्हें बाहर का पसंद नहीं इसलिए तो घर के बने लड्डू लाया हूँ।"

अमरकांत ने बैग से निकालकर दीप्ति को लड्डू दिए।

दीप्ति ने कहा – "लड्डू कहाँ से आए?”

अमरकांत ने कहा – "माँ ने बनाकर रखे हैं।"

दीप्ति ने कहा- "माँ ने !”

दीप्ति ने लड्डू खाए और तारीफ करते रुकी नहीं। दीप्ति माँ की तारीफ करते करते चार लड्डू खा गई और अपने हाथों से अमरकांत को भी एक लड्डू खिला दिया।

अमरकांत को एक पल डर लगा दीप्ति की इतनी नजदीकी ठीक नहीं। अमरकांत थोड़ा दूर होकर बैठ गया और अब बातें भी कम करने लगा।

दीप्ति ने पूछा, "तुम इतने शांत क्यों हो गए?”

अमरकांत ने उत्तर दिया- "बस आखिरी दिन चल रहे हैं गुजरात के। फिर बिहार में भला कौन मुझसे मिलने आएगा।"

दीप्ति ने वापस पूछ लिया- "आखिर तुमने इस्तीफा क्यों दे दिया? अच्छी बढ़िया नौकरी तो थी तुम्हारी।"

अमरकांत ने निर्मल शब्दों में अमित को नौकरी दिलाने की पूरी बात बताई।

दीप्ति- "तुमने अमित के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी यह तो गलत है। और मानो अमित अगर इंटरव्यू में फेल हो गया "

अमरकांत ने हंसते हुए कहा- "तो फिर क्या तुम्हारी सिफारिश कर दूंगा!”

दीप्ति ने मुस्कुराकर कहा- "अच्छा ! कोई न कोई मैं देख लूंगी तुम्हारे लिए नौकरी अपनी कंपनी में। बस तुम मेरा फोन उठा लेना।"

अमरकांत ने कहा- "हाँ! बिल्कुल।"

दीप्ति ने अमरकांत से कहा- "मुझे इससे पहले बिहारियों से इतना लगाव नहीं था। जितना तुम से मिलकर हो गया।"

अमरकांत ने कहा- "तो फिर किसी बिहारी से ही शादी कर लेना।"

दीप्ति ने मुस्कुरा कर कहा- "किसी से क्यों, तुम ही से न करलूँ।"

अमरकांत ने कहा, "हाँ बिल्कुल कर लेता अगर नौकरी से इस्तीफा नहीं दिया होता तो। अब नौकरी तो रही नहीं शादी कर लूंगा तो घर कैसे चलाऊंगा?”

दीप्ति ने हँसते हुए कहा – "घर मैं चला लूंगी, तुम घर के सारे काम कर लेना।"

"हाँ बिल्कुल ! घर के काम में तो में माहिर हूँ।"

बात करते-करते अमरकांत ने दीप्ति से घर चलने की बात कही।

दीप्ति ने कहा पहले मुझे मेरे घर छोड़ दो। अमरकांत दीप्ति के साथ उसके घर को रवाना हुआ। दीप्ति का घर आते ही अमरकांत ने कहा- "ठीक है मैं निकलता हूँ।"

दीप्ति अमरकांत को कुछ न कह सकी। दीप्ति ने अमरकांत को हाथ हिलाकर बाय-बाय किया।

उसी समय दीप्ति के पिताजी घर की बाल्कनी में खड़े थे। दीप्ति के पिताजी ने दीप्ति को अमरकांत के साथ देख अमरकांत को तुरंत पहचान गए। आखिर पूरा दिन जो मसूरी में अमरकांत के साथ बिताए थे।

दीप्ति के पिताजी ने दीप्ति को अमरकांत से दूरी बनाए रखने कि नसीहत दी। आखिर में दीप्ति को समझ आया कि पिताजी भी अमरकांत को बिहारी होने के कारण पसंद नहीं करते।

दीप्ति को समझ आया कि उसके पिताजी डर चुके हैं कि कहीं दीप्ति और अमरकांत का कोई सम्बन्ध तो नहीं। अगर दोनों की बात शादी तक पहुँच गई तो वह समाज में कैसे कहेंगे कि दीप्ति का रिश्ता बिहारी परिवार में पक्का हुआ है। दीप्ति समय के साथ समझ गई कि अमरकांत दीप्ति का फोन क्यों नहीं उठा रहा था?

अगले दिन सुबह जब अमरकांत दफ्तर पहुँचा तो साहब से मालूम हुआ कि अमित को इंटरव्यू का मेल पहुँच चुका है। अमरकांत ने तुरंत फोन कर अमित को मेल चेक करने को कहा। अमित ने बताया कि मेल आ चुका है शनिवार को इंटरव्यू है।

अब अमरकांत के पास सिर्फ चार ही दिन का समय बचा था अमरकांत किसी भी हालत में हारना नहीं चाहता था। अमरकांत ने अमित को इंटरव्यू की तैयारी करना शुरू कर दिया। समय कैसे व्यतीत हो रहा था पता ही नहीं चला।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book